टाई वाला

इलाहाबाद में पढ़ते हुए एक शब्द हर रोज कई बार सुनने को मिलता था – झाम। स्थानीय बोलचाल की भाषा में झाम का अर्थ है गड़बड़ी या अव्यवस्था। बॉलीवुड के शब्दकोश में शायद इसे ‘लफड़ा’ कहेंगे।

चाहे दो गुटों के बीज झगड़ा हो जाए या स्थानीय दुकानदारों से छात्रों की बहस – सभी कुछ झाम था। और जब कहीं झाम होने की सूचना मिलती तो घटनास्थल पर पहुँचना सबका नैतिक दायित्व बन जाता था। वैसे हमारे लिए झाम शब्द का एक और अर्थ भी था – फ्रेंच फ्राई। शायद जब किसी छात्र या छात्रा ने पहली बार एक दुकानदार को फ्रेंच फ्राई बनाने का तरीका सिखा कर उसे बनाने को कहा होगा तो दुकानदार बोला होगा – ई का झाम है भाईसाहब (या बहिनजी)! तब से इलाहाबाद के कुछ इलाकों में झाम किया और देखा ही नहीं जाता, खाया भी जाता है।

खैर, हमें तो बात करनी है टाई वालों की जो अमूमन हर झाम का केंद्र होते हैं। वे अधिकांशतः दिखते नहीं हैं, पर होते हैं – लगभग हमेशा! उन सभी झामों में भी जिन्हें देख कर लगता नहीं की टाई वाले ऐसा सोच या कर सकते हैं। समय मिले तो सोचिएगा – भ्रष्ट आचार के बारे में, कुटिल नीतियों के बारे में, निम्न सोच के बारे में, सुनियोजित हिंसा के बारे में, टूटी अर्थव्यवस्था के बारे में – क्या बिना टाई पहने संभव है इतना कुछ?

टाई वाला

केन्द्र में हर झाम के,
हर उलझे बिगड़े काम के,
निर्देशित कोलाहल को करता,
एक टाई वाला बैठा है।

हर डरी हुई लाचारी में,
भ्रष्ट मन कि आचारी में,
स्वार्थपरता कि चादर ओड़े,
एक टाई वाला बैठा है।

बंधा उपेक्षा की डोर से,
प्रेरित विकास के शोर से,
अहम सुरा में मदमस्त,
एक टाई वाला बैठा है।

केन्द्र में हर झाम के,
हर उलझे बिगड़े काम के,
निर्देशित कोलाहल को करता,
एक टाई वाला बैठा है।

You may also like...

2 Responses

  1. Deven Mewari says:

    पढ़ा, बहुत अच्छा लगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *